रामप्रसाद सेन, पंकज दाधीच की जोधपुर से स्पेशल रिपोर्ट जोधपुर। शहर में फगड़ा-घुड़ला मेला आयोजन को लेकर कुछ खास बातें देखने व सूनने क...
रामप्रसाद सेन, पंकज दाधीच की जोधपुर से स्पेशल रिपोर्ट
जोधपुर। शहर में फगड़ा-घुड़ला मेला आयोजन को लेकर कुछ खास बातें देखने व सूनने को मिली। जिसमे गद्दीयों की गली में गवर-ईशर के तीन जोड़े है, जो कि इन तीन अलग-अलग परिवारों के पास है। जिसमे सबसे बड़ा जोड़ा फूफोशा के नाम से विख्यात है और उनसे छोटे जोड़े को फूफोशा के पुत्र-पुत्रवधु माना जाता है तथा तीसरे जोड़े को फूफोशा के पौत्र-पौत्रवधु के रूपेण इनकी पूजा शंकर - पार्वता का रूप मानते हुए की जाती है।
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इसके साथ ही यहां पर गवरमाता की एक चांदी की प्रतिमा है, जो इस परिवार के लोगों ने बताया कि यह प्रतिमा पूर्व राजपरिवार से इनके दादा को भेंट की गई थी और उनसे गवरमाता की पूजा पर्दे में ही होती है, इन्हें घर से बाहर नहीं ले जाया जाता है। इसके साथ ही शहर के भीतरी क्षेत्र के लोगों का मानना है कि गवरमाता का यह मेला तीज से शुरू होकर दशम को बोलावणी, फगड़ा-घुड़ला के रूप में गवर-ईशर के साथ वापस ससूराल जाने के साथ ही मेला समायोजित होता है। जिसमे आमजन की मान्यतानुसार गवर-ईशर पूजन में जिस व्यक्ति की जो भी मनो कामना हो वह पूरी होती है। जिसमे हर आम व खास के मुंह से उच्च स्वरघोष के एक साथ आवाज निकल कर अंबर से टंकाररूप में टकरा कर आती है, कि "गवरमाता ने घणी-घणी खम्मा" वृद्ध हो या बच्चा बस एक ही गूंज के साथ गवरमाता अपने ईशर के साथ इस दिन वापस ससूराल आती है।
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इसके साथ ही यहां पर गवरमाता की एक चांदी की प्रतिमा है, जो इस परिवार के लोगों ने बताया कि यह प्रतिमा पूर्व राजपरिवार से इनके दादा को भेंट की गई थी और उनसे गवरमाता की पूजा पर्दे में ही होती है, इन्हें घर से बाहर नहीं ले जाया जाता है। इसके साथ ही शहर के भीतरी क्षेत्र के लोगों का मानना है कि गवरमाता का यह मेला तीज से शुरू होकर दशम को बोलावणी, फगड़ा-घुड़ला के रूप में गवर-ईशर के साथ वापस ससूराल जाने के साथ ही मेला समायोजित होता है। जिसमे आमजन की मान्यतानुसार गवर-ईशर पूजन में जिस व्यक्ति की जो भी मनो कामना हो वह पूरी होती है। जिसमे हर आम व खास के मुंह से उच्च स्वरघोष के एक साथ आवाज निकल कर अंबर से टंकाररूप में टकरा कर आती है, कि "गवरमाता ने घणी-घणी खम्मा" वृद्ध हो या बच्चा बस एक ही गूंज के साथ गवरमाता अपने ईशर के साथ इस दिन वापस ससूराल आती है।
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