श्रमिकों को अनुशासन-नियम सिखाना बेहद जरूरी, तमाम कर्मचारीयों का मेडिक्लेम बीमा हर हाल में बनवाएं। मशहूर वित्त विशेषज्ञ भरतकुमा...
मशहूर वित्त विशेषज्ञ भरतकुमार सोलंकी ने गुरूवार की शाम पांच बजे एक विशेष वेबिनार का आयोजन किया। जिसमें कई बड़े उद्योगपतियों एवं दुकानदारों ने भाग लिया। कोरोना संकट लॉकडाउन के बाद अपने कारोबार फिर से शुरू करने के बारे में सरकार की नई गाइडलाइन में जारी शर्तों की जानकारी दी गई। सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक जो भी कारख़ाने खुलेंगे उनके सभी श्रमिकों को फेस कवर, मास्क लगाना होगा, ग्लव्स का इस्तेमाल करना होगा। कारख़ाना, दफ़्तर एवं दुकान में सेनेटाइजर की व्यवस्था करानी होगी। बिना मास्क लगाए आने वाले कर्मचारियों पर सख़्ती के साथ पेश आना होगा।
सरकार ने कारख़ानों को चालु करने के लिए थोड़ी छूट भले ही दे दी हो, लेकिन लॉकडाउन के झटके से उद्योग जगत उभर नहीं पा रहा है। यही कारण है कि बंदिशें हटने के बाद भी ज्यादातर उद्योगों में ताला ही पड़ा हुआ है। छोटे उद्यमियों की सबसे बड़ी समस्या आज उनके सामने यह हैं कि श्रमिकों को नए नियमों के तहत अनुशासन सिखाने की हैं, जो हज़ारों लोगों को काम देते थे। लॉकडाउन में उनके चक्के भी जकड़ दिए। आर्थिक मंदी से देश को बचाने की खातिर सरकार ने धीरे-धीरे उद्योगों को चलाने के लिए हरी झंडी दे दी है। लेकिन, कोरोना का फैलाव रोकने की खातिर तमाम शर्तें भी लगा दी। इन शर्तों पर अमल के बाद भी उद्योगों को दोबारा चला पाना उद्यमियों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। किसी भी राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश को गाइडलाइन नज़रअंदाज़ करने की अनुमति नहीं होगी। अलबत्ता राज्य या प्रदेश सरकार चाहें तो अपने स्थानीय ज़रूरतों के अनुसार लॉकडाउन को और ज़्यादा सख़्त बना सकते हैं। दुकानदार एवं मिल मालिकों को अपने कामगार और कर्मचारियों का मेडिक्लेम बीमा करवाना अनिवार्य किया गया है। ऐसा नहीं करने पर कर्मचारी एवं उसके परिवार में किसी को भी कोरोना जैसी ख़तरनाक बीमारी होने पर संपूर्ण ख़र्च की ज़िम्मेदारी व्यवसायी को उठानी पड़ सकती हैं। मज़दूर एवं कर्मचारियों को बिना मेडिक्लेम बीमा किए काम करवाने पर जुर्माना एवं दंड का प्रावधान भी है।
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