ओढ़नी पर कशीदाकारी और जूती निर्माण का पुश्तैनी कार्य करने वालों पर रोजी-रोटी का संकट। @गणेश जैन जैसलमेर/फलसुण्ड। उप तहसील में ...
ओढ़नी पर कशीदाकारी और जूती निर्माण का पुश्तैनी कार्य करने वालों पर रोजी-रोटी का संकट।
@गणेश जैन
जैसलमेर/फलसुण्ड। उप तहसील में लॉकडाउन के बाद से कस्बे में रहवास करने वाले 30-40 जीनगर परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। इन वर्ग के लोगों का ओढ़नी पर कशीदाकारी और जूती निर्माण का पुश्तैनी कामकाज है। लॉकडाउन के बाद कामकाज एकदम ठप्प होने से लोगों के समक्ष रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। कृषि भूमि नहीं होने से लोगों की आजीविका का एकमात्र साधन यही है। अब कच्चे माल के अभाव व मांग नहीं होने से काम बंद हो गया है। समाज की औरतें ओढनी व चुनरी पर कशीदाकारी करके अपने परिवार का भरण पोषण करती है।
वहीं युवा लोग लेदर हैंडीक्राफ्ट कार्य करने जोधपुर में जाते थे। लॉकडाउन के कारण उनको अब कोई काम नहीं मिल रहा है। जिससे घर में रखा चमड़ा और कशीदे का सामान खराब हो रहा है। ऐसे में लोगों के सामने गुजर बसर करना मुश्किल हो गया है। जीनगर समाज के लोगो की मांग है कि सरकार लॉकडाउन के दिनों के बिजली बिल माफ करें।
वहीं कम ब्याज दर पर लोन दिलाया जाए, ताकि अपने पैरों पर समाज पुनः खड़ा हो सके। उन्होंने वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज में जीनगर समाज को विशेष आर्थिक सहायता की मांग की। समाज के लोगों ने बताया कि कशीदाकारी व जूती निर्माण बंद होने से समाज की स्थिति बहुत दयनीय हो गई है। अकुलाय जीनगर ने बताया कि जोधपुर वह बाड़मेर कामकाज पूर्णत: बंद रहने से जूते व कशीदाकारी का काम पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है। इसके चलते बेरोजगारी के हालात पैदा हो गए हैं।
इनका कहना हैंकच्चा सामान नहीं मिलने से जूती का काम नहीं हो पा रहा है। वहीं आवागमन बंद होने से विगत दो महीने से कोई भी व्यापारी खरीदारी को लेकर नहीं पहुंच रहा है, ऐसे में आर्थिक संकट उत्पन्न होना स्वाभाविक है। - भानाराम जीनगर, कामगार।
कशीदाकारी व जूती कामगारों पर संकट के बादल मंडरा हुए हैं उनकी रोजी-रोटी बंद हो गई है। राज्य सरकार को उचित कदम उठाते हुए तत्काल सहायता करने की आवश्यकता है।
- खेताराम जीनगर, समाजसेवी।
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