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संस्कृति को बचाने की जुगत में लगे मिट्टी के इंजीनियरों को दीपावली से ही एकमात्र आशा।

संस्कृति को बचाने की जुगत में लगे मिट्टी के इंजीनियरों को दीपावली से ही एकमात्र आशा। @ पूरणसिंह सोढ़ा दुनियाभर में अपनी मिट्टी की कला के लिये...

संस्कृति को बचाने की जुगत में लगे मिट्टी के इंजीनियरों को दीपावली से ही एकमात्र आशा।


@ पूरणसिंह सोढ़ा
दुनियाभर में अपनी मिट्टी की कला के लिये प्रसिद्ध पोकरण के कुम्हार इन दिनों कोरोना संक्रमण के चलते कारोबार ठप होने के कारण आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं। लॉकडाउन की लंबी समयावधि ने इन कुम्हारों के काम धंधे को चौपट कर दिया है और अब ये 'मिट्टी के इंजीनियर' दिवाली के त्योहार की तरफ टकटकी लगाए हुए हैं। पर्व पर इनके बनाए दीयों और सजावटी सामानों को लोग खरीदेंगे तभी इनके घर भी दिवाली पर खुशियों के दीये जलेंगे।

दीया बिकने से ही रोशन होती इनकी दीपावली:
दीपक बेचने वाले कुम्हारों के घरों में  अभी तक देखने को मिलता है कि परिवार के बड़े-बुजुर्गों से लेकर बच्चे तक सभी इस परम्परागत कार्य में लगे रहते हैं। मिट्टी ढोने, उसे गीला करने, आकार देने, सुखाने और पकाने तक का सारा काम घर के सभी सदस्य मिल कर करते हैं और जैसलमेर शहर के साथ ही आस-पास के क्षेत्रों में माटी के दीपक बेच परिवार का पालन-पोषण करते है। ऐसे में अगर इनका कारोबार ठप हो जाए तो खाने तक के लाले पड़ जाते हैं और लॉकडाउन के चलते जैसलमेर-पोकरण के इन कुम्हारों के हालात कुछ ऐसे ही हो गए थे। दिवाली का सीजन आने से इन कुम्हारों के काम ने फिर जोर पकड़ लिया है। इस बार भी इन्हें उम्मीद है कि हमारे दीपक बिकेंगे और घर मे दीपावली की रौनक आएगी।



संस्कृति को बचाने वाले दो जुन रोटी को मजबूर:
माटी से बर्तन बनाने वाले कुम्हारों का कहना है कि सरकार सबके लिए राहत योजना लाई है ऐसे में उनके लिए भी कुछ सोचना चाहिए। इनका कहना है कि मिट्टी को आकार देने की परम्परागत कला को वे लोग आगे ले जा रहे हैं। ऐसे में संस्कृति और विरासत की प्रगति में इनका भी योगदान है ऐसे में सरकारों को ऐसे कारीगरों के लिये विशेष पैकेज की व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि कला और संस्कृति के इन संरक्षकों को दो वक्त का निवाला नसीब हो सके। 

दो कदम गांव की ओर के पाठकों से अपील: 
आप सभी से हम अपील करते है कि इस दिवाली अपने घरों में सजावटी सामान की खरीदारी करते वक्त मिट्टी के दीयों के साथ कुछ सामग्री ऐसी जरूर खरीदें जो इन मिट्टी के इंजीनियरों के परिवारों द्वारा बनाई गई हो ताकि दीपावली पर हमारे घरों के साथ इनके घर भी रोशन हो सकें।

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