मेघा हाईवे क्षतिग्रस्त, सुविधाओं का अभाव, वाहन चालक परेशान। @ भगाराम पंवार बाड़मेर/बालोतरा। मेघा हाईवे के रखरखाव को लेकर रीड कोर के अनदेखी बर...
मेघा हाईवे क्षतिग्रस्त, सुविधाओं का अभाव, वाहन चालक परेशान।
@ भगाराम पंवार
बाड़मेर/बालोतरा। मेघा हाईवे के रखरखाव को लेकर रीड कोर के अनदेखी बरतने से आवागमन को लेकर हर दिन हजारों लोग परेशानी उठाते हैं। वर्षा से मेगा हाईवे जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है। जानलेवा गढ्डे होने के बावजूद रीड कोर मरम्मत तक नहीं करवा रहा है। इस पर आवागमन में जहां लोगों को अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। गढ्डों से होकर वाहनों के गुजरने से इनमें टूट-फूट होती है। मरम्मत को लेकर वाहन चालकों को बेवजह हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। गढ्डे टालने को लेकर चालकों के साइड से गुजरने पर हादसे होते हैं। अब तक घटित हादसों में कई जने मर चुके हैं तो दर्जनों जने घायल हो चुके हैं। वाहन हादसों से मृत पशुओं को भी कंपनी समय पर नहीं उठाती है। सडक़ व इसके किनारे कई कई दिन तक मृत पशु पड़े रहते हैं इसकी दुर्गंध से आसपास से गुजरने वाले लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। रात्रि के अंधेरे में मृत पशु नजर नहीं आने पर कई वाहन इनके ऊपर से होकर गुजरते हैं। विशेषकर दुपहिया वाहनों के गुजरने पर जान से हाथ धोने पड़ते हैं। रीड कोर के मनमाना टोल टैक्स वसूलने लेकिन मार्ग की मरम्मत तक नहीं करवाने वह मृत पशुओं को नहीं हटाने से वाहन चालको मार्ग से जुड़े ग्रामीणों में अधिक रोष है। कंपनी अधिकारी समस्या का समाधान करने की वजह सिर्फ टोल वसूलने मैं लगे हुए हैं। कंपनी अधिकारियों के मनमाने रवैए से आमजन में रोष है। इस कड़वी हकीकत के बावजूद प्रशासनिक अधिकारी तक मूकदर्शक बने हुए हैं। वह भी कंपनी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई तक नहीं कर रहे हैं। कंपनी अधिकारियों की अनदेखी पर किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। कम्पनी अधिकारी मात्र कार्यालय में बैठक कुर्सियां तोडऩे का काम कर रहे है।
बाड़मेर/बालोतरा। मेघा हाईवे के रखरखाव को लेकर रीड कोर के अनदेखी बरतने से आवागमन को लेकर हर दिन हजारों लोग परेशानी उठाते हैं। वर्षा से मेगा हाईवे जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है। जानलेवा गढ्डे होने के बावजूद रीड कोर मरम्मत तक नहीं करवा रहा है। इस पर आवागमन में जहां लोगों को अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। गढ्डों से होकर वाहनों के गुजरने से इनमें टूट-फूट होती है। मरम्मत को लेकर वाहन चालकों को बेवजह हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। गढ्डे टालने को लेकर चालकों के साइड से गुजरने पर हादसे होते हैं। अब तक घटित हादसों में कई जने मर चुके हैं तो दर्जनों जने घायल हो चुके हैं। वाहन हादसों से मृत पशुओं को भी कंपनी समय पर नहीं उठाती है। सडक़ व इसके किनारे कई कई दिन तक मृत पशु पड़े रहते हैं इसकी दुर्गंध से आसपास से गुजरने वाले लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। रात्रि के अंधेरे में मृत पशु नजर नहीं आने पर कई वाहन इनके ऊपर से होकर गुजरते हैं। विशेषकर दुपहिया वाहनों के गुजरने पर जान से हाथ धोने पड़ते हैं। रीड कोर के मनमाना टोल टैक्स वसूलने लेकिन मार्ग की मरम्मत तक नहीं करवाने वह मृत पशुओं को नहीं हटाने से वाहन चालको मार्ग से जुड़े ग्रामीणों में अधिक रोष है। कंपनी अधिकारी समस्या का समाधान करने की वजह सिर्फ टोल वसूलने मैं लगे हुए हैं। कंपनी अधिकारियों के मनमाने रवैए से आमजन में रोष है। इस कड़वी हकीकत के बावजूद प्रशासनिक अधिकारी तक मूकदर्शक बने हुए हैं। वह भी कंपनी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई तक नहीं कर रहे हैं। कंपनी अधिकारियों की अनदेखी पर किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। कम्पनी अधिकारी मात्र कार्यालय में बैठक कुर्सियां तोडऩे का काम कर रहे है।
फिर टूटी सड़कें और घटिया पेचवर्क:
फलौदी से रामजी के गोल तक जाने वाले मेगा हाइवे पर जगह-जगह सडक़ क्षतिग्रस्त हो चुकी है। जगह-जगह गड्ढे होने से वाहनचालकों को परेशान होना पड़ रहा है। भारी ट्रकों व ट्रेलरों की आवाजाही से सडक़ जगह-जगह सडक़ उखड़ गई है। लेकिन इसके बावजूद सडक़ की मरम्मत नहीं करवाई जा रही है। पिछले दिनों एकाध बार सडक़ की मरम्मत करवाई गई थी लेकिन निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप मरम्मत नहीं होने से आम जन को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
उखड़े बोर्ड, गायब हुई रेडियम प्लेटें:
मेगा हाइवे पर सडक़ किनारे नियमानुसार मोड़, ब्रेकर, पैट्रोल पम्प सहित अन्य आवश्यक चिह्नों के संकेतक बोर्ड लगाए जाने आवश्यक है। लेकिन अब अधिकांश संकेतक बोर्ड टूटने के साथ ही सडक़ की रेडियम प्लेटें भी जमींदोज हो चुकी है। इसके अलावा जगह-जगह बनाए गए बे्रकर भी नियमों के विपरीत है।
टोल बूथ पर नहीं हैं सुविधाएं:
हाइवे के नियमानुसार क्षतिग्रस्त सडक़ की मरम्मत नहीं करने के साथ ही केलम कोट, भूंका भगतसिंह, नगर मेगा हाइवे पर जहां वसूली तो हो रही है। लेकिन टोल नाके पर शुद्ध ठण्डा पानी, प्राथमिक चिकित्सा, प्रसाधन, छायां सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।
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