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अदालत के फैसले से 100 साल पुराने कुँए का ताला तोड़कर दिलाया कब्जा।

अदालत के फैसले से 100 साल पुराने कुँए का ताला तोड़कर दिलाया कब्जा।  बाड़मेर। 100 साल पहले उमचन्द जैन नामक दानदाता द्वारा शहरवासियों को पीने के...

अदालत के फैसले से 100 साल पुराने कुँए का ताला तोड़कर दिलाया कब्जा। 


बाड़मेर। 100 साल पहले उमचन्द जैन नामक दानदाता द्वारा शहरवासियों को पीने के पानी की भारी किल्लत से निजात दिलाने के लिए खुदवाये गये सार्वजनिक कुए पर हुए कब्जे के वाद पर मंगलवार को न्यायालय ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए न्यायालय ने कुँए के ताले तोड़कर उसका कब्जा असली मालिक को दिलाया। मंगलवार को अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश राजकुमार चौहान ने जिला मुख्यालय के शिव मुंडी मन्दिर मार्ग पर 100 साल पहले बनाए मन्दिर पर प्रह्लाद माली के कब्जे को हटाकर जेठमल जैन को कब्जा दिलवाया। जानकारी के मुताबित पूर्व में अतिरिक्त सिविल न्यायालय ने कुए पर जबरन कब्जा कर पानी बेचने वाले प्रहलाद माली नामक व्यक्ति को पाबंद करते हुए कुए का कब्जा जैन श्वेताम्बर संघ को सुपूर्द करने एवं किराया अदा करने के आदेश दिये थे, जिंसके विरुद्ध प्रहलाद ने अपर जिला न्यायाधीश बाड़मेर में अपील पस्तुत की थी जो न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गयी थी तब जैन समाज द्वारा इजराय पस्तुत कर कब्जा दिलाने की मांग की गई। 



एडवोकेट मुकेश जैन ने बताया कि जैन समाज के दानदाता उमचन्द जैन ने 100 वर्ष पहल बाड़मेर में पानी की भारी किलत को देखते हुए बाड़मेर वासियो को मीठा पानी पिलाने की नीयत से अपने नाम से उमे का कुआ खुदवा कर शिव मार्ग पर जैन संघ को सुपूर्द किया था। जैन संघ शुरू से कुए का संचालन करता रहा तथा आमजन  सहित पशुओं को पानी उपलब्ध करवाता रहा लेकिन इस बीच प्रहलाद माली नामक व्यक्ति ने उस पर अनाधिकृत कब्जा कर लिया और पानी पैसों से बेचना शुरू कर दिया। जैन समाज ने विरोध किया तो प्रहलाद ने इस मामले को अदालत मे घसीटा और जैन समाज के विरुद्ध स्टे की मांग की लेकिन अदालत ने उसके विरुद्ध निर्णय किया  तत्पश्चात जैन समाज ने प्रहलाद के कब्जे को हटाने के लिए कोर्ट में वाद दायर किया, कोर्ट में उमचन्द के पौत्र एडवोकेट सुरतानमल जैन एवं बाद मे उनके पुत्र जेठमल जैन ने इस कुवें के मालिकाना हक की लड़ाई करीबन 30 सालों तक अदालत मे लड़ी, आखिर में अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश डॉ. सिम्पल शर्मा ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उमे के सार्वजनिक कुए पर जैन श्वेताम्बर संघ का कब्जा मानते हुए, प्रहलाद के कब्जे को अनाधिकृत मानते हुये कब्जा जैन समाज को सुपूर्द करने के प्रतिवादी प्रहलाद माली को आदेश दिये थे और प्रहलाद को वाद दायर करने से लगातार कब्जा सुपूर्द करने तक किराया अदा करने के आदेश भी दिए थे। अदालत ने प्रहलाद को पाबंद किया था कि वह जैन संघ को कुए के उपयोग उपभोग मे दखल न दें। अदालत मे जैन श्री संघ तथा प्रतिनिधि जेठमल जैन वगैरा की तरफ से एडवोकेट मुकेश जैन और भवानी शंकर ने पैरवी की।

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