सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण आवश्यक : इंटेक चेप्टर बाड़मेर। जिले में विरासतों का खजाना है जिससे हमारी धरा के सौंदर्य को चार चांद लग जाते हैं...
सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण आवश्यक : इंटेक चेप्टर
बाड़मेर। जिले में विरासतों का खजाना है जिससे हमारी धरा के सौंदर्य को चार चांद लग जाते हैं। इन धरोहरों का संरक्षण आवश्यक है ताकि हम आने वाली पीढ़ी को इन विरासतों से रूबरू करवा सकें। ये उदगार इंटेक चेप्टर के नव नियुक्त संयोजक रावल किशनसिंह जसोल ने गुडाल में आयोजित प्रथम वार्षिक बैठक में व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि जिले के ऐतिहासिक भवनों किले बावड़ियों, लोक कला, लोक गायन, भणत, डिंगल, पारंपरिक वेशभूषा, परंपराओं, हस्तकला आदि को सहेजने की महती आवश्यकता है। रावल ने जिले में इंटेक के माध्यम से एक संग्रहालय स्थापित करने की महत्ती आवश्यकता बताई। उन्होंने पर्यावरण के क्षेत्र में बबुल के स्थान पर कैर, खेजड़ी, रोहिड़ा व अन्य औषधीय पौधों रोपण पर बल दिया। इन पौधों द्वारा हम प्रदूषण को रोक सकते हैं।
इससे पहले पूर्व संयोजक यशोवर्धन शर्मा ने गत वर्षों में इंटेक द्वारा किये गए कार्यों का लेखा जोखा प्रस्तुत किया। उन्होंने जिले में पर्यावरण को हो रहे नुकसान पर इंटेक के माध्यम से न्यायालय द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण फैसलों की जानकारी दी।
सह संयोजक ओम जोशी ने आगामी दिनों में गणगौर महोत्सव को इंटेक द्वारा आयोजित करने और देवका के सूर्य मंदिर, कोटड़ा के किले के पुनरुद्धार की आवश्यकता पर बल दिया।
बैठक में रावत त्रिभुवन सिंह ने जिले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का महत्व बताते हुए उसके संरक्षण की बात कही। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासतों के प्रावधानों से अवगत कराते हुए समाज मे लोक जागरण का आव्हान किया। इस अवसर पर पुरषोतम खत्री, प्रकाश शर्मा, बद्रीप्रसाद शारदा, विक्रमसिंह चौधरी, प्रेमसिंह, दीपसिंह भाटी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
अंत मे सह संयोजक इंजीनियर संजय रामावत ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आगामी बैठक में धरोहरों को सूचीबद्ध कर योजना प्रस्तुत करने की और हमारी परम्परा, संस्कार को धरोहर के संरक्षण का माध्यम बनाने की आवश्यकता बताई। बैठक के अंत मे पूर्व सदस्य पदमश्री मगराज जैन, सांगसिंह लुणु, जितेंद्र बंसल और राज्य सह संयोजक हरिसिंह पालकिया को श्रद्धांजलि दी गई।
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