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श्री विश्वकर्मा धाम कानोड़ में धूमधाम से मनाया श्री विश्वकर्मा जयंती महोत्सव।

श्री विश्वकर्मा धाम कानोड़ में धूमधाम से मनाया श्री विश्वकर्मा जयंती महोत्सव। बाड़मेर। जिले के बायतु उपखण्ड में श्री विश्वकर्मा धाम कानोड़ में ...

श्री विश्वकर्मा धाम कानोड़ में धूमधाम से मनाया श्री विश्वकर्मा जयंती महोत्सव।



बाड़मेर। जिले के बायतु उपखण्ड में श्री विश्वकर्मा धाम कानोड़ में आदिशिल्पी भगवान श्री विश्वकर्मा का जन्मोत्सव मनाया गया। परेऊ मठाधीश ओंकार भारती जी के सानिध्य में रात्रि जागरण में गायक कलाकार भीमाराम सुथार ने भजनों की सरिता बहायी। आगामी वर्षी कार्यक्रम के लिए बोलियों की घोषणा हुई। सुबह पूजा व आरती के बाद सामाजिक विचार विमर्श किया गया। इस संगोष्ठी में अध्यक्ष भूराराम जोपिंग व कोषाध्यक्ष चुन्नीलाल पीड़मा ने पूर्व का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। ततपश्चात नेत व आगामी वर्षी कार्यक्रम के लिए बोलियों को आगे बढ़ाया गया। बोलियां अगली अमावस्या को मीटिंग रखकर फाइनल किया जाएगा।
भगवान विश्वकर्मा को इस सृष्टि का रचयिता माना गया है। ‌शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु सृजन के देवता हैं। हर वर्ष कन्या संक्रांति की तिथि पर विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है और भगवान श्री विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि कार्य स्थलों की पूजा करने से कारोबार में मुनाफा होता है साथ में धन संपदा में भी बढ़ोतरी होती है। आज माघ मास के शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि, गुरुवार एवं गुरु पुष्य नक्षत्र की शुभ बेला 25 फरवरी को विश्वकर्मा जयंती मनाई जा रही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा की आज्ञा से भगवान श्री विश्वकर्मा ने इस ब्रम्हांड का निर्माण किया था। माना जाता है कि भगवान श्री विश्वकर्मा ने स्वर्ग लोक, द्वारिका, इंद्रपुरी, हस्तिनापुर, जगन्नाथपुरी, लंका, भगवान शिव का त्रिशूल, कर्ण का कुंडल, भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र और इस ब्रम्हांड का निर्माण किया था। इतना ही नहीं भगवान विश्वकर्मा को वास्तु देव का पुत्र भी कहा जाता है।

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