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स्वर्ण नगरी में जीवंत हो उठी फाग की परंपरा, बीस साल बाद निकली हजूरी समाज की गैर

स्वर्ण नगरी में जीवंत हो उठी फाग की परंपरा, बीस साल बाद निकली हजूरी समाज की गैर जैसलमेर। ऐतिहासिक परंपरा और संस्कृति के की प्रतीक हजूरी समा...

स्वर्ण नगरी में जीवंत हो उठी फाग की परंपरा, बीस साल बाद निकली हजूरी समाज की गैर




जैसलमेर। ऐतिहासिक परंपरा और संस्कृति के की प्रतीक हजूरी समाज की पारंपरिक गैर और फागोत्सव की संस्कृति बीस साल बाद फिर जीवंत हो उठी। हजूरी समाज के युवा संगठन द्वारा निकाली गई पारंपरिक गैर ने जैसलमेर की सुनहरी धरा को उत्साह, उमंग, मस्ती और खुशियों से सरोबार कर दिया। बीस साल बाद हजूरी समाज के सैकड़ो लोग किले के चोहटे में फागोत्सव के लिये परंपरागत वेशभूषा में एकत्रित हुए। जैसलमेर के आराध्य देव बाबा लक्ष्मीनाथ मंदिर के मुख्य द्वार के आगे शुरू हुई पारंपरिक फाग गायिकी। बाबा लक्ष्मीनाथ को समर्पित होली पर्व की फाग ने वातावरण में मीठा रस सा घोल दिया। 



समाज के अनुभवी फाग गायकों शिव नारायण भाटी, देवी सिंह भाटी, मदन सिंह पंवार, धउवा सरपंच हुकुम सिंह सोलंकी, भेरू सिंह महेचा, सहित समाज के वरिष्ठ लोगो ने फाग गायिकी को नई ऊंचाइयां प्रदान की। जैसे - जैसे फाग गायिकी के स्वर ऊंचे हो रहे थे माहौल में उत्साह और उमंग झलकता जवां रहा था। बुजुर्गों की पारंपरिक फाग गायिकी में युवा साथी स्वर मिला रहे थे। बीस साल के लम्बे अंतराल के बाद पुनः शुरू हुई पारंपरिक फाग गायिकी से फिर परंपराएं जीवित हो उठी। मंदिर के पट खुले तो होली की गैर मंदिर परिसर में पहुंची।मंदिर के बाहर फिर फागों की गायिकी शुरू हुई। एक के बाद एक गई फागों ने वातावरण में होली का उल्लास भर दिया। मंदिर परिसर में जैसे गैरियो ने प्रवेश किया बाबा लक्ष्मीनाथ के जयकारों से जैसाण गूंज उठा। बाबा के आगे गैरियो ने गुलाल अबीर से जमकर होली खेली। रंगोत्सव की छटा निराली सी हो गई। युवा उत्साह से लबरेज थे। फागों का दौर शुरू हुआ।



खेली खेली रे, राधा संग कान्हा खेली होली रे:

फाग गायकी खेली खेली रे, राधा संग कान्हा खेली होली रे के साथ परवान चढ़ी। लक्ष्मीनाथ बाबा के आंगन में ब्रिज की गुलाल अबीर के साथ खेली जाने वाली होली की परंपरा जीवित हो गई।मंदिर में जमकर गुलाल अबीर से होली खेली। बाद में फागोत्सव रंगोत्सव में तब्दील हो गया। मंदिर से निकल होली की गैर में तब्दील हो गई। सभी ने चोहटे से फागोत्सव गैरियो की टोली में तब्दील हो गई। किले से गोपा चौक, मुख्य बाजार, गांधी चौक होकर गणेश मंदिर पर गैरियो ने फाग गायकी का सिलसिला अनवरत रख वातावरण होली के उल्लास से भर दिया। हजूरी समाज की अब तक कि बड़ी गैर का शहर में विभिन्न स्थानों पर पुष्पहार और पुष्प वर्षा से स्वागत किया। गणेश मंदिर के आगे गैर दल का पार्षद देवी सिंह चौहान ने भव्य स्वागत कर अल्पाहार की व्यवस्था की। गणेश जी के दर्शन और आरती के बाद गैर का विसर्जन किया गया। युवा संगठन अध्यक्ष राहुल सिंह राठौड़, सचिव अनिल सिंह भाटी, कोषाध्यक्ष प्रदीप गौड़ ने सफल आयोजन के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।

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