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ऑक्सीजन के लिए पेड़ो की शरण में जाए शायद जीवन अच्छी तरह से बीत जाए।

ऑक्सीजन के लिए पेड़ो की शरण में जाए शायद जीवन अच्छी तरह से बीत जाए। विश्व कोरोना महामारी के दूसरे दौर में  12 राज्यों में कृत्रिम ऑक्सीजन की ...

ऑक्सीजन के लिए पेड़ो की शरण में जाए शायद जीवन अच्छी तरह से बीत जाए।



विश्व कोरोना महामारी के दूसरे दौर में  12 राज्यों में कृत्रिम ऑक्सीजन की कमी महसूस की जा रही है। पर्यावरण और बढ़ते हुए प्रदूषण का खतरा मानव जीवन के लिए खतरा साबित हो रहा हैं। पेड़-प्रकृति को संजोने के साथ परिवारों की सुरक्षा के साथ पर्यावरण की रक्षा के लिए प्राणदाता वृक्ष हमारे ऑक्सीजन पूर्ति जीवनदान हैं। वृक्षों के माध्यम से हमें शुद्ध ऑक्सीजन मिलती हैं। इस समय ऑक्सीजन की कमी के चलते ज्यादातर लोगों की मृत्यु हो रही है। पेड़ हमें अपनी सुखद आबों हवा से हमारा जीवन बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। पेड़-पौधों को अपना जीवन साथी बनाने में ही हम सब का जीवन हैं।


आज बीबीसी के एक कार्टून को देखकर में यह बात लिख रहा हूँ। नमस्कार आप सभी मेरे प्रिय भारत वासियों जैसा कि आप सभी जानते हैं इस समय हमारा भारत ही नहीं पूरा विश्व कोरोना नामक भयंकर महामारी की चपेट में है, और इससे बचाव करने के लिए दो-दो हाथ कर रहे हैं। जैसा कि मीडिया रिपोर्टों में पढ़ने और देखने को मिल रहा है कि ज्यादातर मौते ऑक्सीजन की कमी से हो रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 12 राज्यों में इस समय ऑक्सीजन की कमी महसूस की जा रही है। हमने पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाया है इसके लिए आज प्रकृति हमें इस भयंकर महामारी को झेलने के लिए मजबूर कर रही है। समय रहते हम पर्यावरण को बचाने में कामयाब हुए तो हमारा जीवन भी सुखद रहेगा। जैसा कि घटते हुए पर्यावरण और बढ़ते हुए प्रदूषण का खतरा पृथ्वी पर मानव जीवन के लिए खतरा साबित हो रहा हैं। उससे कहीं ज्यादा इस समय घटते हुए ऑक्सीजन को लेकर चिंता बनी हुई हैं। आज के इस दौर में पेड़ बचाने और प्रकृति को संजोने के लिए सोचना होगा तभी जाकर हमें स्वस्थ रहने के लिए शुद्ध हवा ऑक्सीजन के रूप में मिल पाएगी। इस समय कोरोना काल में हम सभी अपने अपने परिजनों की चिंता में चिंतन और मनन कर रहे हैं। मेरा यह मानना हैं और मेरा मन कहता है की हम और आप जहां भी हैं अच्छे से स्वस्थ रहें। इन दिनों के हालातों को देखते हुए भारत और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा जारी की गई सरकारी गाइड लाइन का पालन करते हुए अपने परिवार अपने मित्रों और अपने आसपास के परिवारों की सुरक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं। इन हालातों को देखते हुए हर कोई चाहता की सभी स्वस्थ और सुरक्षित रहे किसी का भी परिवार नहीं उजड़े। ऐसे हालात में मेरा मानना है कि हम सभी अपने आस-पास पर्यावरण की रक्षा के लिए हम सभी को ऑक्सीजन देने वाले पेड़ों की शरण में जाकर उनसे प्रार्थना करनी चाहिए। दोनों हाथ जोड़कर वृक्ष के सामने खड़े होकर भीख मांगे की, हे पर्यावरण के रखवाले मेरे प्राण दाता हमने आपको बहुत कष्ट दिया है। हमें माफ करना। हमें आज आपकी जरूरत है। आपके ऑक्सीजन की जरूरत है। सरकारी तंत्र की तरफ से उपलब्ध करवाए जा रहे ऑक्सीजन से पूर्ति नहीं हो पा रही है। इसलिए हम आपसे दोनों हाथ फैलाकर भीख मांगते हुए प्रार्थना कर रहे हैं। कि, आप हमें अपनी ऑक्सीजन अपनी शुद्ध हवा (वायु) के माध्यम से हमें जीवनदान दे। इसके साथ ही ग्रामीण जन जो ढाणियों में निवास करते हैं। उनसे मैं कहना चाहूंगा कि आप अपने खेतों में वृक्षों के नीचे सुबह 5:00 बजे से लेकर शाम दिन ढलने तक ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। ताकि, इन वृक्षों के माध्यम से हमें शुद्ध ऑक्सीजन मिल सके। ताकि, हम जीवित रह सके। हमारा जीवन बस सके। क्योंकि इस समय ऑक्सीजन की कमी के चलते ज्यादातर लोगों की मृत्यु हो रही है। इसलिए अपने आसपास के पेड़ हमें अपनी सुखद हवा में हमारा जीवन बचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए अच्छे तरीके से अपने बच्चों की तरह पेड़ों को पानी देकर साफ - सुथरा रखकर पेड़ों के नीचे की जगह को साफ करके ज्यादातर समय दिन में अपने परिवार के साथ इन पेड़ों के नीचे गुजारा करें। ताकि, हमें शुद्ध हवा की वजह से सांस लेने में तकलीफ ना हो। इसके साथ ही भारत सरकार के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए आदेशों की पालना भी करें। 2 गज दूरी। मास्क है जरूरी। जिंदा रहने के लिए गाइडलाइन की पालना है जरूरी। 

जगदीश सैन पनावड़ा

"दो कदम गांव की ओर"


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