VIDEO: बाड़मेर के दो भाई बहन अंगीकार करेंगे जैन दीक्षा, 19 साल की बहन और 21 साल का भाई बनेंगे जैन साधु। बाड़मेर। एक और जहां व्यक्ति मोबाइल को ...
VIDEO: बाड़मेर के दो भाई बहन अंगीकार करेंगे जैन दीक्षा, 19 साल की बहन और 21 साल का भाई बनेंगे जैन साधु।
बाड़मेर। एक और जहां व्यक्ति मोबाइल को ही अपना संसार समझने लगा है और उसी में उलझने लगा वही दूसरी तरफ संसार के एशो आराम एवं मोह को त्याग कर ऐसे मार्ग की ओर कदम बढ़ाना जहाँ पहनने को दो जोड़ी कपड़े और ताउम्र होता है पैदल विहार। जीवन का एक लक्ष्य भगवान महावीर की वाणी को जन-जन तक पहुचाते हुए स्वयं के जीवन विचरण से मुक्त करना। आज हम ऐसे ही एक भाई बहन की बात करने जा रहे जोकि सांसारिक जीवन से संयम पथ को अंगीकार करने जा रहे जिनकी उम्र महज 19 और 21 साल ही है। सरहदी बाड़मेर में इस भाई बहन के जोड़े के जैन दीक्षा लेने की चर्चा हर तरफ है।
बाड़मेर के भुणिया की मुस्कान बोहरा की उम्र 19 साल है और वह बीए प्रथम वर्ष की विद्यार्थी है। मुस्कान के भाई महावीर की उम्र है 21 साल हैं। महावीर की कोलेजी शिक्षा अभी पूरी हुई है। सही में जिस उम्र को जिंदगी के असली पड़ाव की शुरुआत कहा जाता है उसी उम्र में दोनों भाई बहन सांसारिक जीवन को त्याग कर संयम पथ पर बढ़ चले है। सरहदी जिले बाड़मेर में दीक्षार्थी मुस्कान बोहरा और महावीर बोहरा की दीक्षा पूर्व के कार्यक्रमो में लोगो के लिए यह चर्चा का विषय बने हुए है। अपने वर्षीदान वरघोड़े में दोनों भाई बहन ने अपनी सांसारिक चीजों और मूल्यवान वस्तुओं को जनता को समर्पित कर आगे कदम बढ़ाए। दोनों भाई बहन के एक साथ दीक्षा ग्रहण करने से सवाल पर दोनों बताते है कि माता- पिता दादा- दादी ओर पूरे परिवार के एक एक सदस्य का हम दोनों पर असीम उपकार ओर अनन्त कृपा दृष्टि है, इससे कही अधिक त्याग तो इनका है, जिन्होंने अपने कलेजे के टुकड़ों को जिन शासन की सेवा में समर्पित करने की सहर्ष अनुमति प्रदान की। सरहदी बाड़मेर के मुमुक्षु महावीर और मुमुक्षु मुस्कान को आगामी 6 मई को गुजरात के पालीताना में आचार्य मणी प्रभ सागर दीक्षा दिलाएंगे।
सांसारिक जीवन से संयम पथ को अपनाने से पहले दोनों भाई बहन के विचार सही मायने में प्रभावशाली नजर आते है। दोनों बताते है कि संसार का लक्ष्य भौतिक सुख है,जो कि क्षणिक है लेकिन संयम का लक्ष्य आत्मिक है।जो अमरत्व का अमृत है, संयम पथ का लक्ष्य पर अनन्त शांति और परम् सुकून है। जबकि भौतिक संसार मे राग-द्वेष, मोह-माया, अपना-पराया, तेरा-मेरा इत्यादि अनेक कषायों का जाल है। हम दोनों इन सबसे विरक्त होकर मोक्ष पद की ओर गमन करना चाहते है। इसलिए आत्मा कल्याण के लिए वैराग्य जीवन पर बढ़ने का फैंसला किया है।
कल तक सांसारिक जीवन की चकाचौंध से घिरे रहने वाले भाई बहन जैन दीक्षा के बाद महज 2 जोड़ी कपड़े में भगवान महावीर के चरणों मे अपना जीवन समर्पित कर देंगे। वही दोनों जिंदगी भर पैदल विहार कर भगवान महावीर के संदेश को जन जन तक पहुँचाने का कार्य करेंगे। सही मायने में युवा सोच का संयम पथ को इस तरह अंगीकार करने के लिए आगे आना भगवान महावीर के आदर्शों को आज भी प्रासंगिकता से आगे रखता नजर आता है।
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