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राजस्थान शौर्य और भक्ति की भूमि: कला एवं संस्कृति मंत्री

राजस्थान शौर्य और भक्ति की भूमि: कला एवं संस्कृति मंत्री  जवाहर कला केंद्र में आयोजित हुआ राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी का स्थापना दिवस समारोह ब...

राजस्थान शौर्य और भक्ति की भूमि: कला एवं संस्कृति मंत्री 




  • जवाहर कला केंद्र में आयोजित हुआ राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी का स्थापना दिवस समारोह
  • ब्रज भाषा की प्रस्तुतियों पर झूमे दर्शक

जयपुर, 28 नवम्बर। कला और संस्कृति मंत्री  डॉ.बी. डी. कल्ला ने कहा कि राजस्थान शौर्य और भक्ति की भूमि है। यहाँ महाराणा प्रताप के शौर्य और मीरा की भक्ति का अनूठा संगम नज़र आता है। डींगल साहित्य में वीर सपूतों की गाथाओं का वर्णन है तो पींगल साहित्य में भक्ति की रसधार बहती है। डॉ.कल्ला सोमवार को जवाहर कला केंद्र में राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी के 38 वे स्थापना दिवस समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ब्रजभाषा प्रेम और सौहार्द की भाषा है और ब्रज संस्कृति का अनुकरण देश ही नहीं समूचा विश्व भी करता है। डॉ. कल्ला ने कहा कि राजस्थान में देश की एकमात्र ब्रजभाषा अकादमी अकादमी होना हमारे लिए गर्व की बात है। डॉ.कल्ला ने ब्रजभाषा में कवि रसखान की पद्य रचना ‘मानुष हौं तो वही रसखानि....’ भी पढ़कर सुनाई। कला और संस्कृति मंत्री ने अपना उद्बोधन भी ब्रज भाषा में ही दिया।



राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी के अध्यक्ष डॉ. रामकृष्ण शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि वर्तमान यंत्र युग में आदमी तकनीकी रूप से तो तरक्की करता जा रहा है मगर भावनात्मक रूप से पिछड़ता जा रहा है। इसलिए जीवन मूल्य  स्थापित होने की आवश्यकता है। 

अकादमी के सचिव गोपाल लाल गुप्ता ने अकादमी का परिचय देते हुए बताया कि 28 नवम्बर 1985  को तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. शिवचरण माथुर के कार्यकाल में राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी की स्थापना हुई थी और विष्णुचंद पाठक इसके संस्थापक अध्यक्ष थे। उन्होंने बताया कि ब्रज संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए अकादमी द्वारा जयपुर के करीब सौ स्कूलों में पेंटिंग,सुलेख स्केचिंग और कलरिंग प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जा रही है। 



इस अवसर पर राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी के पूर्व अध्यक्षों व अन्य पदाधिकारियों का सम्मान भी किया गया। अतिथियों ने ब्रजभाषा अकादमी के नए लोगो का भी विमोचन किया।

इस मौके पर ब्रज संस्कृति पर आधारित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किये गए जिनकी शुरुआत कवि भूपेंद्र भरतपुरी ने सरस्वती वंदना से की। उसके बाद विट्ठल पारीक ने ब्रज वंदना और प्रख्यात गायक अशोक शर्मा ने ‘चारों धामों से निराला ब्रजधाम.....’ की प्रस्तुति दी जिस पर कलाकारों ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मन्त्र मुग्ध कर दिया। अन्य प्रस्तुतियों में श्री कृष्ण रास, बम रसिया,शिव तांडव नृत्य, रसिया नृत्य, चरकुला नृत्य और लांगुरिया नृत्य प्रमुख रहे। मंच संचालन अनिल गोयल ने किया।



इस अवसर पर कला और संस्कृति विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ ,जवाहर कला केंद्र की अतिरिक्त महानिदेशक प्रियंका जोधावत पुरातत्व विभाग की उपनिदेशक श्रीमती कृष्णकांता शर्मा, ब्रजभाषा अकादमी के पदाधिकारीगण और ब्रज साहित्य के विद्वान भी उपस्थित थे।

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