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पढ़े: पत्रकार शेरा की मुहिम ने मानवता की नई मिशाल कायम की, लोगो ने कुछ ही घंटो में करोड़ो लुटाएं।

पढ़े: पत्रकार शेरा की मुहिम ने मानवता की नई मिशाल कायम की, लोगो ने कुछ ही घंटो में करोड़ो लुटाएं। बाड़मेर। आज के डिजिटल युग में सोशल मिडिया ...

पढ़े: पत्रकार शेरा की मुहिम ने मानवता की नई मिशाल कायम की, लोगो ने कुछ ही घंटो में करोड़ो लुटाएं।




बाड़मेर। आज के डिजिटल युग में सोशल मिडिया पर देश - दुनियां में हर रोज कई सारे चेहरे अपने - अपने अंदाज से खबरें और जानकारियां दर्शकों तक पहुंचाते है। लेकिन ऐसे ही सोशल मिडिया के जरिए रोजाना खबरें बताने वाले बाड़मेर जिले की बात करें तो उसमें हर एक व्यक्ती के जेहन में दिनेश बोहरा, कालू माली, अशोक शेरा, और एक देशी पत्रकार आदि आदि...नाम आते हैं।लेकिन आज एक चेहरा और एक नाम राजनीति से लेकर प्रशासन, आम गलियारों, चोराहो, सोशल मिडिया, इलेक्ट्रोनिक और प्रिंट मीडिया में हर दिल में पूरे देश भर में छाया हुआ है। और वो नाम और चेहरा है पत्रकार अशोक शेरा, बाड़मेर के विधायक मेवाराम सहित कई समाजों, संगठनों, संस्थाओं ने मानवता की मिशाल कायम करने वाले ऐसे पत्रकार की तहे दिल तारीफ की है।

शेरा ने जो कार्य किया वो अपने आप में एक मिसाल बन गया। अब आप में से अगर कोई नहीं जानता होगा कि पत्रकार अशोक शेरा ने आखिर ऐसा क्या काम किया जिससे लोग इतनी तारीफ कर रहे हैं। तो आईए जानते हैं की शेरा ने क्या मुहिम चलाई और क्यों वो इतिहास बन गई हैं। कुछ दिनों पहले गुड़ामालानी के मालपुरा में रहने वाले भील जाति के एक परिवार के सदस्य अपनी बेटी की सगाई करने दूसरे गांव गए थे, लेकिन रास्ते में सिणधरी कस्बे में एक बोलेरो गाड़ी की टक्कर से लड़की के मां - बाप का निधन हो गया और बाकी सदस्य घायल हो गए थे।
मालपुरा के भील जाति के इस परिवार में मां - बाप के निधन से पीछे बची उसकी 7 बेटियां अनाथ हो गई और इन सात बहनों का एक मात्र सबसे छोटा भाई भी इस हादसे में कई दिनों तक अपनी जिंदगी और मौत के बीच लड़ाई लड़ता रहा और आखिर में वो भी जिंदगी हार गया है।

इस दुर्घटना की खबर कई सारे अखबारों में प्रकाशित हुई और बात आई गई हो गई, लेकिन बाड़मेर के जागरूक पत्रकारों में जो लॉक डाउन के बाद से पिछले इन दो वर्षो से आम लोगो के बीच में जाना माना नाम अशोक शेरा के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था।

मृतक के घर सबसे पहले पहुंचने वाले पत्रकारों में अशोक शेरा ने मानवता को हिला देने वाली इस न्यूज अपने अंदाज से "मैं हुं अशोक शेरा और आप इस समय मेरे स्क्रीन पर जिन सात बहनों (लड़कियों) को देख रहे हो इनके माता पिता का सड़क दुर्घटना में निधन हो गया है आप मेरे साथ जुड़े रहे और इस विडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे"

यह ख़बर जैसे ही पूरी होकर मृतक के बैंक डिटेल के साथ प्रसारित हुई लोगो ने जाति, धर्म देखा, जान पहचान और ना ही रिश्तेदारी देखी, ना ही और कोई स्वार्थ देखा ...फूल ही नही तो फूल की पांखडी ही सही ....मानवता के पुजारियों की तरफ से कुछ ही घंटो में लगभग पचास लाख रुपए और अगले पचास घण्टे पूरे होने तक यह आंकड़ा करोड़ों रुपए के पार पहुंच गया था और यह लिखने तक अभी भी रुपया बैंक में आ रहा है। कई सारी संस्था और परिवार रोकड़ पैसों के आलावा खाने पीने और जरूरत वाली सामग्री लेकर पहुंच रहे है। अब तक हजारों रूपयो की सामग्री आ चुकी है। 

इस नेक काम की मुहिम छेड़ने वाले पत्रकार को केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति पुरस्कार, राज्य सरकार एवम जिला प्रशासन द्वारा सम्मानित किया जाना चाहिए।

30 वर्षीय अशोक शेरा ने 2017 से पत्रकारिता शुरू की, उसके बाद अलग - अलग मीडिया संस्थान के साथ काम किया और वर्तमान में फर्स्ट इंडिया न्यूज चैनल के साथ बाड़मेर प्रभारी के रूप में कार्य कर रहे है, और सोशल मीडिया पर फेसबुक और यूट्यूब के जरिए मददगारों के लिए समय - समय पर मुहिम चलाते है। शेरा अब तक करीब 20 से अधिक असहाय परिवारों की मदद कर चुके है। इस सात बेटियों के लिए उनका कहना है की यह मेरा फर्ज था, जिसे मेने निभाया और दानवीरो ने इसे सफल बनाया। सभी की अपील से पीड़ित की मदद हुई है जो ऐतिहासिक है शेरा ने आगे कहा की मैं सभी का धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।

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