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धोरों की बेटी का नेपाल में कमाल, इंटरनेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में जीता गोल्ड।

धोरों की बेटी का नेपाल में कमाल, इंटरनेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में जीता गोल्ड। @शौक़त सोलंकी बाड़मेर/बायतु। की बेटिया भी बेटों से कम नहीं है...

धोरों की बेटी का नेपाल में कमाल, इंटरनेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में जीता गोल्ड।




@शौक़त सोलंकी
बाड़मेर/बायतु। की बेटिया भी बेटों से कम नहीं है। यहां की लड़कियों में जोश जज्बा, हिम्मत, जुनून और कुछ कर गुजरने की क्षमता है, अगर ये लड़कियां ठान लें जो जिंदगी में कुछ भी पा सकती हैं।
ये कहानी है बाड़मेर जिले के गांव बायतु भोपजी की एक ढाणी में रहने वाली मूली चौधरी की, जो 6 बहनों व 2 भाइयों में 5 वे नम्बर पर है व राजकीय कन्या महाविद्यालय बायतु की छात्रा है। जिन्होंने नेपाल में आयोजित सयुक्ता भारतीय खेल फाउंडेशन, पंकज गावले ऑर्गेनाइजेशन सेकेट्री के तत्वावधान में इंटरनेशनल गेम्स् में 800 मीटर व 10 किलोमीटर दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त कर दो गोल्ड मेडल जीतकर अपने महाविद्यालय, गांव व देश का नाम रोशन किया।


अब कॉमनवेल्थ गेम्स में जाने का है सपना:

बायतु भोपजी की रहने वाली मूली चौधरी ने नेपाल में आयोजित ओपन इंटरनेशनल एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में गोल्ड जीत कर देश और बाड़मेर का नाम रोशन किया है। इंटरनेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में मूली चौधरी ने यह खिताब हासिल किया है। मूली की इस जीत के बाद परिवार में काफी खुशी का माहौल है। उनके परिवार वालों का कहना है कि आज के दौर में बेटिया बेटों से कम नहीं है, ऐसी बेटी को दिल से सलाम है। अब उनका अगला टागरेट कामनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेना है। मूली को जीत मिलने के बाद बायतु विधायक हरीश चौधरी, कैलाश चौधरी सांसद व केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री सहित अन्य जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों द्वारा बधाइयां दी गई।


माता-पिता व कोच को देती हैं जीत का श्रेय:

अपने इस जीत के बारे में बताते हुए मूली ने कहा कि नेपाल में इस इंटरनेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में कम्पीटीशन काफी मुश्किल था। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, फिर आखिरकार उन्होंने गोल्ड जीत ही लिया। मूली अपनी जीत का श्रेय विक्रम कुमार जसाई एथलेटिक्स कोच, ललित सिंह राणा ग्राउंड कोच व अपने माता-पिता व भाईयों को देती हैं। मूली का अगला टारगेट कॉमनवेल्थ गेम्स है। उसने कहा कि खेल में आगे बढ़ने के लिए उनके पिता व माता ने हमेशा उनका साथ दिया है। उनकी बदौलत ही वो इस मुकाम पर पहुँची है।  


मूली की जीत पर काफी खुश हैं माता-पिता:

मूली की इस जीत पर उनकी मां कसूम्बी देवी व पिता लुम्भाराम का कहना है कि उनकी बेटी दूसरों से कहीं ज्यादा मेहनती है। उनका कहना है कि, "मैंने बेटी और बेटे में कभी अंतर नहीं किया है। आज वो जिस फिल्ड में आगे बढ़ रही, वो हम सब का नाम रोशन कर रही हैं। उसको बचपन से ही गेम्स् में रूचि थी। आज वो इंटरनेशनल गेम्स खेलकर देश व अपने गांव के लिए गोल्ड लाई, हमे अपनी बेटी पर बहुत गर्व है।

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